Wednesday 9 November 2022

लखनऊ समेत उप्र के इन जिलों में दो बार आया भूकंप, देर रात घबराकर घरों से बाहर निकले लोग

 लखनऊ समेत उप्र के इन जिलों में दो बार आया भूकंप, देर रात घबराकर घरों से बाहर निकले लोग

दिल्ली एनसीआर से लेकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, कानपुर, मुरादाबाद, बरेली, आगरा और मेरठ समेत कई जिलों में मंगलवार रात दो बार भूकंप के झटके (Earthquake in Lucknow) महसूस किए गए। पहली बार रात 8 बजकर 52 मिनट पर भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.9 मापी गई है। इसके बाद देर रात 1.57 बजे दूसरी बार धरती डोली। इस बार झटके काफी तेज महसूस किए गए। इसकी तीव्रता 6.3 मापी गई है। घरों में बेड व अन्य वस्तुएं हिलने लगी। घबराकर लोग घरों से बाहर निकल आए।

पहली बार आए भूकंप का केंद्र भारत-नेपाल सीमा पर धारचूला क्षेत्र में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे बताया जा रहा है। वहीं दूसरी बार का केंद्र नेपाल के ही कुलखेती में बताया जा रहा है। भूकंप से किसी प्रकार के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। इससे पहले 19 अगस्त की देर रात को भी लखमऊ और आसपास के इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिसकी तीव्रता 5.2 मापी गई थी।





उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में लोगों को मंगलवार रात करीब पांच घंटे के अंतराल पर दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। दूसरी बार करीब 20 सेकेंड तक धरती हिलती रही। हालांकि कहीं से कोई नुकसान की सूचना नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार करीब 8.52 बजे 4.9 तीव्रता का भूकंप आया है, जिसका केंद्र नेपाल के धारचूला क्षेत्र में था। भूकंप की गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी। इसके बाद रात 1:57 दूसरी बार भूकंप आया। इसकी तीव्रता 6.3 मापी गई है।

जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के पूर्व एडिशनल डायरेक्टर जनरल और भूकंप विशेषज्ञ प्रभास पांडेय के अनुसार भूकंप की इस तीव्रता पर अधिक नुकसान होने की आशंका नहीं है। नेपाल के धारचूला क्षेत्र में इससे पहले भी कई बार भूकंप आ चुके हैं। वर्ष 1916 में यहां पर आए भूकंप की रिक्टर पैमाने पर तीव्रता सात दर्ज की गई गई थी, जिसकी वजह से वहां पर काफी नुकसान हुआ था। 200 से ज्यादा घरों को क्षति पहुंची। यह उस क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा भूकंप था। इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते रहते हैं।





धारचूला में 1916 में 7.5 तीव्रता का भूकंप आ चुका है। हालांकि इसके अधिक प्रमाण नहीं मिलते हैं, लेकिन अब तक का इंडो नेपाल बार्डर पर यह सबसे तीव्रता वाला भूकंप था। इसमें 200 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। इसके अलावा 1980 में रिक्टर पैमाने पर छह तीव्रता वाला भूकंप का केंद्र भी यही क्षेत्र है। इस क्षेत्र में बस्तियां बहुत कम है। इस वजह से भूकंप के प्रभाव से अधिक नुकसान नहीं होता है।

प्रभास पांडेय के अनुसार मंगलवार की रात आए भूकंप में अधिक नुकसान की आशंका नहीं है। तीव्रता के कारण लोगों को झटके महसूस हो सकते हैं। केंद्र बिंदु के आसपास के घरों में दरारे आ सकती है, लेकिन जान माल की क्षति होने की आशंका नहीं है।




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